खान सर पॉडकास्ट: भारत, चीन, पाकिस्तान और शिक्षा पर बेबाक राय
राज शमानी के पॉडकास्ट में खान सर ने भारत, चीन, पाकिस्तान और भू-राजनीति जैसे कई अहम मुद्दों पर खुलकर बात की। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था की कमियों, समाज में महिलाओं की भूमिका और किसानों की चुनौतियों पर भी अपने विचार रखे। यह बातचीत सिर्फ जानकारी नहीं देती, बल्कि सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे देश और दुनिया में क्या चल रहा है।
भारत और चीन: विकास की कहानी
भारत और चीन दोनों ने लगभग एक ही समय में अपनी यात्रा शुरू की, लेकिन आज चीन हमसे बहुत आगे निकल गया है। खान सर के अनुसार, इसकी मुख्य वजह चीन का वास्तविक सोच है, जबकि हम अक्सर आदर्शवादी विचारों में खोए रहते हैं।
- भाषा का प्रभाव: भारत में अंग्रेजी को थोपने के कारण कई छात्रों का समय और ऊर्जा भाषा सीखने में ही लग जाती है, जबकि चीन ने अपनी मंदारिन भाषा को प्राथमिकता दी। वहां के नेता भी अपनी भाषा में बात करते हैं और अनुवाद के लिए तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।
- महिला भागीदारी: चीन में फैक्ट्रियों में महिलाएं काम करती हैं, जबकि पुरुष मार्केटिंग और निर्यात संभालते हैं। यह आपसी तालमेल उनके विकास में मदद करता है। भारत में महिलाओं को अक्सर घर तक सीमित रखा जाता है, जिससे उनकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता।
- शिक्षा प्रणाली: चीन में 'एक राष्ट्र, एक शिक्षा' प्रणाली है, जहां कोचिंग माफिया जैसी चीजें नहीं हैं। भारत में अमीर और गरीब के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं अलग-अलग हैं, जिससे समाज में असमानता बढ़ती है।
शिक्षा व्यवस्था और सामाजिक मुद्दे
खान सर ने भारतीय शिक्षा प्रणाली की कई कमियों पर प्रकाश डाला। उनका मानना है कि स्कूलों की खराब गुणवत्ता के कारण ही कोचिंग संस्थानों की जरूरत पड़ती है।
शिक्षा में चुनौतियाँ
- ग्रेजुएशन का स्तर: आज के छात्र ग्रेजुएशन तो कर लेते हैं, लेकिन उनका ज्ञान का स्तर बहुत कमजोर होता है। यह ऐसा है जैसे तालाब में मकान बनाने की कोशिश करना।
- शिक्षकों की भूमिका: कुछ शिक्षक छात्रों को अपने स्तर तक उठाने के बजाय खुद को बहुत ऊंचा मानते हैं। शिक्षकों को छात्रों के स्तर पर आकर पढ़ाना चाहिए ताकि सभी को समझ आ सके।
- कोचिंग माफिया: कोचिंग संस्थान मनमानी फीस वसूलते हैं, जिससे गरीब और जरूरतमंद छात्र अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। खान सर ने खुद 200 रुपये में छात्रों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है।
भू-राजनीति और युद्ध का सच
खान सर ने वैश्विक राजनीति और युद्धों पर भी अपनी राय रखी। उनका मानना है कि युद्ध गलत हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ लोग बात से नहीं मानते।
- भारत की विदेश नीति: भारत को रूस का साथ देने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि रूस ने भी मुश्किल समय में भारत का साथ दिया है।
- नाटो का औचित्य: नाटो जैसे सैन्य गठबंधन आज के समय में अनावश्यक हैं, खासकर जब संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं मौजूद हैं। ये गठबंधन छोटे देशों को अस्थिर करते हैं।
- युद्ध का व्यापार: युद्ध अक्सर हथियार बेचने वाली कंपनियों के लिए फायदेमंद होते हैं। वे छोटे-मोटे संघर्षों को बढ़ावा देकर अरबों कमाते हैं।
पाकिस्तान की हकीकत और इतिहास
खान सर ने पाकिस्तान की स्थिति पर भी बेबाक टिप्पणी की। उनका मानना है कि पाकिस्तान का विभाजन एक बड़ी गलती थी, और आज भी वहां की स्थिति दयनीय है।
- विभाजन की गलती: भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ, जो एक बड़ी भूल थी। जिन्ना जैसे नेताओं ने इस विभाजन को बढ़ावा दिया।
- सेना का नियंत्रण: पाकिस्तान में सेना का देश पर पूरा नियंत्रण है। प्रधानमंत्री भी सेना की मर्जी से बनते और हटते हैं।
- सामाजिक पिछड़ापन: पाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति खराब है और कट्टरपंथी सोच हावी है, जिससे देश प्रगति नहीं कर पा रहा है।
खान सर का शिक्षा के प्रति समर्पण
खान सर ने बताया कि उनका सपना फौजी बनने का था, लेकिन मेडिकल कारणों से वे नहीं बन पाए। इसके बाद उन्होंने मजबूरी में पढ़ाना शुरू किया, लेकिन जल्द ही यह उनका जुनून बन गया।
- कम फीस में शिक्षा: उन्होंने छात्रों से कम फीस लेने के लिए कोचिंग माफिया से लड़ाई लड़ी और आज भी 200-250 रुपये में पूरा कोर्स पढ़ाते हैं।
- गरीबों के लिए उम्मीद: खान सर का लक्ष्य उन गरीब और कमजोर छात्रों को पढ़ाना है, जो पैसे की कमी या खराब शिक्षा प्रणाली के कारण पीछे रह जाते हैं।
- छात्रों का प्यार: उनके छात्र उन्हें ब्लैक कमांडो से भी ज्यादा खतरनाक मानते हैं और उनकी सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
किसानों का भविष्य और चुनौतियाँ
खान सर किसानों के लिए भी कुछ बड़ा करना चाहते हैं। उनका सपना है कि किसान भी फॉर्च्यूनर जैसी गाड़ियां चलाएं और उन्हें समाज में सम्मान मिले।
- उन्नत बीज और तकनीक: किसानों को उन्नत किस्म के बीज और कीट नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीक मिलनी चाहिए ताकि उनकी फसल बर्बाद न हो।
- कोल्ड स्टोरेज की कमी: फसल तैयार होने के बाद किसानों को अपनी उपज औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ती है, क्योंकि गांवों में कोल्ड स्टोरेज की कमी है।
- सरकारी मदद से परहेज: खान सर का मानना है कि सरकार की मदद पर निर्भर रहने के बजाय, किसानों को खुद मजबूत होना चाहिए, क्योंकि सरकारी नीतियां बदलती रहती हैं।
खान सर का मानना है कि भारत को अपनी विदेश नीति में मजबूत होना चाहिए और पड़ोसियों के साथ भी अपने हितों को ध्यान में रखना चाहिए। उनका कहना है कि देश को आगे बढ़ाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा, न कि केवल धार्मिक या राजनीतिक मुद्दों में उलझे रहना होगा।