बॉबी देओल बिना लाग-लपेट: असफलता, परिवार, ट्रोल्स, शराब और उनका जबरदस्त बॉलीवुड कमबैक
कुछ इंटरव्यू ऐसे होते हैं जिन्हें आप भूल नहीं सकते, और बॉबी देओल के साथ यह बेबाक बातचीत निश्चित रूप से उन्हीं में से एक है। अपनी ईमानदारी और आकर्षण के लिए जाने जाने वाले बॉबी ने अपने मुश्किल दिनों, पारिवारिक रिश्ते, ट्रोल्स, आत्म-संदेह से जंग और स्टारडम की दूसरी पारी पाने के बारे में खुलकर बात की—जिसका श्रेय वे जोखिम उठाने, खुद पर काम करने और अपने प्रियजनों के समर्थन को देते हैं।
मुख्य निष्कर्ष
- प्रसिद्धि बहुत नाजुक होती है और जितनी जल्दी आती है, उतनी ही जल्दी चली भी जाती है।
- परिवार और परवरिश ने बॉबी को गढ़ा, लेकिन साथ ही यह दबाव भी लेकर आया।
- असफलता और अस्वीकृति कठोर थीं, जिससे नशे की लत से जूझना पड़ा।
- कमबैक केवल अपनी कमियों को स्वीकारने और कड़ी मेहनत करने से संभव हुआ।
- ऑनलाइन ट्रोल्स और अफवाहें अक्सर जितना हम सोचते हैं उससे ज्यादा चोट पहुंचाती हैं।
- आत्म-विश्वास और अनुशासन—सिर्फ किस्मत नहीं—एक लंबा करियर टिकाए रखते हैं।
देओल परिवार में बड़ा होना: फिल्मी परिवार में जीवन
प्रसिद्ध परिवार में जन्म लेना सपने जैसा लगता है, लेकिन बॉबी बताते हैं कि यह एक दोधारी तलवार भी थी। देओल परिवार एक बड़े संयुक्त परिवार में साथ रहता था, जहां प्यार तो भरपूर था लेकिन निजता बहुत कम। बचपन के खेल छुपने के, चोर-सिपाही जैसे थे—कभी प्लेस्टेशन पर खेलने जैसे नहीं। वीडियो गेम्स सख्त मना थे ताकि बच्चे सक्रिय रहें।
लेकिन सब कुछ मजेदार नहीं था। बचपन के एक हादसे और कुख्यात 'बिल्ला रंगा' अपहरण कांड के बाद, उनके माता-पिता बहुत ज्यादा सुरक्षात्मक हो गए। उन्होंने घर के अंदर ही साइकिल चलाना सीख लिया! बाहर जाना सख्त नियंत्रण के तहत था, सुरक्षा के लिए कई नियम तय थे।
सबसे छोटे होने के कारण, बॉबी को सबसे ज्यादा ध्यान मिलता था—कई बार उनकी इच्छा से भी ज्यादा। घर में भले ही कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी, लेकिन बाहरी दुनिया उन्हें हमेशा उनके मशहूर पिता और भाई सनी देओल से तुलना करती थी। सभी को उनसे बड़ी उम्मीदें थीं… और उन्होंने उस दबाव को महसूस किया।
ब्रेकथ्रू: स्टारडम, ठहराव और आत्म-संदेह
बॉबी आंशिक रूप से अपनी पसंद से अभिनेता बने, लेकिन उनके लिए यह दुनिया स्वाभाविक थी। सितारों से भरे घर में रहते हुए, बचपन में ही उन्होंने घोषित कर दिया था कि वे 'हीरो' बनना चाहते हैं। जनता से मिलने वाला प्यार और इज्जत नशे जैसी लगती थी, लगभग किसी ज़रूरत की तरह।
लेकिन बॉलीवुड अप्रत्याशित है। 90 के दशक की हिट फिल्मों के बाद, चीजें धीमी हो गईं। फिल्में चलनी बंद हो गईं, ऑफर्स खत्म हो गए, और अचानक बड़ी फिल्मों के बुलावे आने बंद हो गए। दूसरे अभिनेता वो प्रोजेक्ट्स भी ले जाते थे, जो उनके लिए थे। आत्म-संदेह घर कर गया, और पार्टियों में जाना असुविधाजनक हो गया—जैसे खुद को छुपाना।
जड़ तक पहुँचना
बॉबी मानते हैं कि उन्होंने कुछ चीजें हल्के में ले लीं, सफलता की लहर पर सवार हो गए। उन्होंने अपने पिता की तरह संघर्ष नहीं देखा था फिल्मों में आने के लिए। जब ऑफर बंद हुए, तो वे तैयार नहीं थे और खुद को खोया हुआ महसूस किया। "मैं एक बार स्टार था, और वह खत्म हो गया," वे कहते हैं। यह आत्म-दया नहीं, बल्कि ईमानदार स्वीकारोक्ति है।
नशा उनका सहारा बन गया, लेकिन हालात और बुरे हो गए। एक समय—जब उन्हें एहसास हुआ कि उनके बच्चे भी उन्हें बेरोजगार मानते हैं—तो उन्हें समझ आया कि कुछ बदलना पड़ेगा। उन्होंने एक्सरसाइज करना शुरू किया, तैयारी की, अभिनय की क्लासेस ली, खुद को किसी भी मौके के लिए तैयार किया।
ट्रोल्स, अफवाहें और इंडस्ट्री गॉसिप से जूझना
सार्वजनिक तौर पर बॉबी की छवि को ठेस पहुंची। उनके डीजे बनने की मजाक (जो वे नहीं थे), पैसों की बातें, और यह कहानियाँ कि वे मेहनत नहीं करते—ये सब उन्हें चुभते थे। लेकिन वे सीख गए कि आप सभी को मना नहीं सकते। सिर्फ आपका काम मायने रखता है। गलतफहमियों को दूर करने का एक ही तरीका है—काम पर लौटना और सबको गलत साबित करना।
ऐसे कई निचले पल थे, जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स से बाहर किया जाना ('जब वी मेट'), ऑनलाइन ट्रोलिंग, या ऐसा महसूस होना कि सभी आगे बढ़ गए हैं। लेकिन बॉबी कहते हैं, “असफलता ने मुझे सिखाया है कि कुछ भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।”
बदलाव का मोड़: परिवार, कमबैक और आत्म-विश्वास
सच्चा परिवर्तन उनके सबसे करीबी लोगों—उनकी पत्नी और परिवार—से शुरू हुआ। अपनी नई दृढ़ता का श्रेय वे अपनी पत्नी को देते हैं, उन्हें अपने घर की रीढ़ और उस शख्स के रूप में मानते हैं, जिन्होंने उन्हें बेहतर बनने के लिए प्रेरित किया, सिर्फ अभिनेता के तौर पर नहीं, बल्कि पिता और पति के रूप में भी।
वे वेब सीरीज और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के उभार का भी श्रेय देते हैं, जिसने उन्हें जटिल किरदार निभाने का मौका दिया (जैसे 'आश्रम' में), और बिना परिवार की इमेज की चिंता किये जोखिम लेने का अवसर मिला। यह स्वीकार कर कि वे विलेन, डार्क या दोषपूर्ण किरदार भी निभा सकते हैं, बॉबी ने फिर से अपनी लय पा ली।
उल्लेखनीय वापसी के मील के पत्थर
| साल | प्रोजेक्ट | परिणाम |
|---|---|---|
| 2018 | रेस 3 | फिर से नोटिस हुए |
| 2020 | क्लास ऑफ 83/आश्रम | प्रशंसा, नया दर्शक वर्ग |
| 2023 | एनिमल | वायरल, जबरदस्त सम्मान |
सीखी गई बातें: स्टारडम हमेशा के लिए नहीं
लगभग तीन दशकों के बाद, बॉबी स्टारडम की नाजुकता के बारे में खुलकर बात करते हैं। उन्होंने देखा है कि जब आप ट्रेंड में होते हैं तो लोग चापलूसी करते हैं और जब नहीं होते तो गायब हो जाते हैं। वे नहीं चाहते कि उनके बच्चों पर भी यह दबाव हो, हालांकि देओल होने के कारण पब्लिक की नजरों से बचना नामुमकिन है।
अनुशासन, आत्म-विश्वास और इंसानियत: यही उनके पिता धर्मेंद्र ने उन्हें सिखाया। स्टारडम भले ही फीका पड़ जाए, लेकिन ये गुण टिके रहते हैं। वे अब डरमुक्त रहने, जहरीली जगहों से बचने और काम पर फोकस करने की कोशिश करते हैं, न कि हाइप पर।
निष्कर्ष: हमेशा सुधार की प्रक्रिया में
बॉबी देओल की यात्रा जटिल, मानवीय और चलती रहने वाली है। वे जबरदस्त निचले पलों में पहुंचे, मज़ाक का पात्र बने, और सोचा कि क्या कभी वापसी कर पाएंगे। लेकिन, खुद से ईमानदार रहते हुए, अपने परिवार को प्यार करते हुए और काम को प्राथमिकता देते हुए, उन्होंने एक नई तरह की सफलता पाई—जो प्रचार पर नहीं, बल्कि दिल पर आधारित है।
वे कहते हैं, “मैंने अभी शुरू ही किया है, भाई। मुझे अभी बहुत दूर जाना है। मैं चाहता हूँ कि मेरी आखिरी साँस किसी फिल्म सेट पर ही निकले।” अगर और कुछ नहीं, तो यही जज्बा है, जो बॉबी देओल को बतौर अभिनेता—और इंसान—इतना पसंदीदा बनाता है।