भारतीय जासूस: चीन, हथियार, कमांडो प्रशिक्षण और जेल की काली सच्चाई - लकी बिष्ट | FO198 राज शमानी

लकी बिष्ट, एक पूर्व भारतीय कमांडो और जासूस, ने हाल ही में राज शमानी के साथ एक बातचीत में अपने जीवन के कई अनसुने पहलुओं को उजागर किया। उन्होंने अपनी कठोर ट्रेनिंग, जेल के अंदर के अनुभव, खुफिया ऑपरेशंस की दुनिया और भारत के सामने आने वाली चुनौतियों पर खुलकर बात की। यह लेख उनके असाधारण सफर और चौंकाने वाले खुलासों पर आधारित है।

लकी बिष्ट का असाधारण सफर और विवादित मामला

लकी बिष्ट दुनिया के शीर्ष 200 स्नाइपर्स में से एक हैं। उनकी पहचान तब सामने आई जब उन्हें राजू परगाई और अमित आर्य हत्याकांड में फंसाया गया। यह एक ऐसा मामला था जहाँ एक ही गोली से दो गैंगस्टर मारे गए थे। लकी बिष्ट बताते हैं कि उन्हें इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया, क्योंकि हत्या का कोई स्पष्ट मकसद नहीं था। जिस क्राइम सीन पर लाशें मिलीं, वहाँ से एक हॉल्स्टर मिला जो उनकी बंदूक के आकार का था, और कुछ खुफिया इनपुट ने उन्हें इस मामले से जोड़ा। उन्हें तीन दिनों तक बिना किसी कानूनी अनुमति के हिरासत में रखा गया और उनसे बार-बार पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, जबकि उन्हें पता था कि यह काम उन्हीं का है।

भारतीय जेलों की कड़वी सच्चाई

लकी बिष्ट ने लगभग चार साल जेल में बिताए, इस दौरान उन्हें 11 अलग-अलग जेलों में ट्रांसफर किया गया। वह बताते हैं कि जेल के अंदर की जिंदगी बहुत मुश्किल होती है। उन्हें 6x6 फीट के छोटे कमरे में अकेले रखा गया था, जहाँ सूरज की रोशनी भी नहीं आती थी। यह एक तरह की मानसिक प्रताड़ना थी।

जेल के अंदर कई तरह की धमकियाँ और भ्रष्टाचार देखने को मिलता है:

  • पैसे की मांग: नए कैदियों से प्रोटेक्शन मनी मांगी जाती है। अगर पैसा नहीं दिया जाता, तो उन्हें मारा-पीटा जाता है।
  • दुर्व्यवहार: कैदियों से जबरदस्ती काम कराए जाते हैं, जैसे ड्रग्स लाना या दूसरों को मारना।
  • स्मगलिंग: जेल के अंदर तंबाकू, फोन और ड्रग्स जैसी चीजें आसानी से मिल जाती हैं, लेकिन बहुत ऊँचे दामों पर। एक बीड़ी का बंडल 500 रुपये में बिकता है, और एक मोबाइल फोन 10 लाख रुपये तक में मिलता है। यह सब जेल प्रशासन की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।
  • वीआईपी ट्रीटमेंट: पैसे वाले कैदियों को विशेष सुविधाएँ मिलती हैं। उन्हें अच्छा खाना, अलग सेल और यहाँ तक कि रात में भी मुलाकात की अनुमति मिल जाती है। एक बड़े बिजनेसमैन के बेटे के लिए तो तिहाड़ के बगल में एक फाइव स्टार होटल ही फ्री कर दिया गया था, ताकि उसे जेल में अच्छा खाना मिल सके।
  • रेप: लकी बिष्ट ने बताया कि जेलों में नए और मासूम लड़कों के साथ खुलेआम रेप होते हैं, और कोई शिकायत करने वाला नहीं होता, क्योंकि पूरा प्रशासन इसमें शामिल होता है।

कमांडो और जासूस का कठोर प्रशिक्षण

लकी बिष्ट ने इजराइल में ढाई साल की कठोर ट्रेनिंग ली। यह ट्रेनिंग शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से बहुत मुश्किल थी।

शारीरिक प्रशिक्षण:

  • सुबह 4 बजे से पीटी शुरू होती थी, जिसमें 20 किलोमीटर तक दौड़ना शामिल था।
  • बैटल ऑब्स्टेकल कोर्स (BOC) और एसाल्ट ऑब्स्टेकल कोर्स (AOC) जैसे बाधा कोर्स करने पड़ते थे।
  • रॉक क्लाइंबिंग और मार्शल आर्ट्स का अभ्यास भी होता था।

मानसिक प्रशिक्षण:

  • उन्हें इतनी थकान में भी सटीक निशाना लगाना सिखाया जाता था कि शरीर साथ न दे रहा हो।
  • पिस्टल फायरिंग में 4 सेकंड के अंदर दुश्मन के सिर पर गोली मारनी होती थी, बिना किसी नागरिक को नुकसान पहुँचाए।
  • रात में सिर्फ एक मोमबत्ती की रोशनी में 100 मीटर दूर से टारगेट को खत्म करना सिखाया जाता था।
  • ट्रेनिंग का एक नियम था कि उन्हें अगले दिन के रूटीन के बारे में नहीं बताया जाता था, ताकि वे मानसिक रूप से हमेशा तैयार रहें।