यौन स्वास्थ्य के अनसुने सच: डॉ. क्यूटेरस और राज शामानी की बेबाक बातचीत

राज शामानी के साथ एक खास बातचीत में, डॉ. तनाया नरेंद्र, जिन्हें डॉ. क्यूटेरस के नाम से जाना जाता है, ने यौन स्वास्थ्य से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर खुलकर बात की। इस चर्चा में प्रजनन क्षमता, ऑर्गेज्म, जी-स्पॉट, ओरल सेक्स और 'नोफप' जैसे मुद्दों पर फैली गलतफहमियों को दूर किया गया, और सही जानकारी व शिक्षा के महत्व पर जोर दिया गया।

प्रजनन क्षमता और इनफर्टिलिटी: एक बढ़ती चिंता

आजकल भारत में इनफर्टिलिटी के मामले बढ़ते जा रहे हैं, और यह एक बड़ी चिंता का विषय है। पहले लोग इस बारे में डॉक्टर के पास नहीं जाते थे, लेकिन अब आईवीएफ जैसे विकल्पों के आने से जागरूकता बढ़ी है। अक्सर यह माना जाता है कि इनफर्टिलिटी सिर्फ महिलाओं की समस्या है, जबकि सच्चाई यह है कि 40% मामलों में पुरुष जिम्मेदार होते हैं, 40% में महिलाएं और बाकी 20% में दोनों या कोई अज्ञात कारण होता है।

पुरुषों में इनफर्टिलिटी के कई कारण हो सकते हैं। सबसे आसान तरीका जिससे आप अपनी प्रजनन क्षमता सुधार सकते हैं, वह है सिगरेट छोड़ना। स्पर्म हर तीन महीने में नए बनते हैं, इसलिए सिगरेट छोड़ने से नए, स्वस्थ स्पर्म बनने में मदद मिलती है। इसके अलावा, स्टेरॉयड का दुरुपयोग (खासकर जिम में) और लैपटॉप को गोद में रखकर काम करना भी टेस्टिकल्स के कार्य को प्रभावित कर सकता है। टेस्टिकल्स को कम तापमान की जरूरत होती है, और लैपटॉप की गर्मी उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है।

महिलाओं के लिए, प्रजनन शिक्षा की कमी एक बड़ी समस्या है। लड़कियों के पास जन्म के समय लाखों अंडे होते हैं, लेकिन प्यूबर्टी तक आते-आते उनकी संख्या काफी कम हो जाती है। 30 के दशक के मध्य तक प्रजनन क्षमता काफी कम हो जाती है, और इस बारे में अक्सर महिलाओं को जानकारी नहीं होती।

इनफर्टिलिटी का एक बड़ा कारण ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) और यौन संचारित संक्रमण (एसटीटीआई) भी हैं। सुरक्षित यौन संबंध और सही स्वच्छता के बारे में जानकारी होने से इन समस्याओं को रोका जा सकता है, जिससे भविष्य में इनफर्टिलिटी की संभावना कम हो जाती है।

यौन सुख और ऑर्गेज्म के सच

यौन सुख और ऑर्गेज्म को लेकर समाज में कई गलतफहमियां फैली हुई हैं, खासकर पुरुषों पर ऑर्गेज्म दिलाने का बहुत दबाव होता है। लेकिन सच्चाई यह है कि न तो पुरुषों को और न ही महिलाओं को अपने शरीर के बारे में पूरी जानकारी होती है।

जी-स्पॉट का मिथक: डॉ. क्यूटेरस बताती हैं कि जी-स्पॉट जैसी कोई खास चीज नहीं होती। महिला ऑर्गेज्म की जिम्मेदारी दोनों पार्टनर की होती है।

महिला ऑर्गेज्म की सच्चाई: ज्यादातर महिलाओं को पेनिट्रेशन से ऑर्गेज्म नहीं होता। लगभग 80% महिलाओं को क्लिटोरिस के स्टिमुलेशन से ऑर्गेज्म मिलता है। पॉर्न में जो दिखाया जाता है, वह अक्सर सच्चाई से बहुत दूर होता है। कई महिलाओं को यह भी नहीं पता होता कि वे मास्टरबेट कर सकती हैं या उन्हें यौन सुख की इच्छा हो सकती है।

ऑर्गेज्म गैप और परफॉर्मेंस एंग्जायटी: पुरुषों में परफॉर्मेंस एंग्जायटी (प्रदर्शन की चिंता) बहुत आम है, जिससे शीघ्रपतन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह चिंता अक्सर इस बात से आती है कि क्या वे पार्टनर को ऑर्गेज्म दिला पाएंगे या नहीं।

मुख्य बातें

  • ऑर्गेज्म हमेशा यौन अनुभव का अंतिम लक्ष्य नहीं होता। अंतरंगता और सुख अपने आप में सुंदर होते हैं।
  • पॉर्न से मिली यौन शिक्षा अक्सर अवास्तविक होती है। अपने शरीर और पार्टनर के शरीर को समझना बहुत जरूरी है।

सुरक्षित यौन संबंध और स्वच्छता के नियम

यौन स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित अभ्यास और सही स्वच्छता बहुत जरूरी है। कई लोग सोचते हैं कि अगर उनका एक ही पार्टनर है, तो कंडोम की जरूरत नहीं है, लेकिन यह एक बड़ी गलतफहमी है। एसटीटीआई (यौन संचारित संक्रमण) सिर्फ मल्टीपल पार्टनर से नहीं फैलते, बल्कि यौन संपर्क से भी फैल सकते हैं।

कंडोम का महत्व: कंडोम एसटीटीआई और अनचाही गर्भावस्था से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। कंडोम का उपयोग करने से यौन संबंध सुरक्षित और चिंता मुक्त बनते हैं। कंडोम लगाने को फोरप्ले का हिस्सा बनाने से फ्लो नहीं टूटता।

ओरल सेक्स और कैंसर का खतरा: यह जानकर हैरानी हो सकती है कि ओरल सेक्स से भी मुंह और गले का कैंसर हो सकता है। इसलिए, ओरल सेक्स के दौरान भी सुरक्षा का उपयोग करना चाहिए, जैसे डेंटल डैम।

यौन स्वच्छता उत्पाद: क्या वे वाकई काम करते हैं?
बाजार में कई ऐसे उत्पाद हैं जो यौन स्वच्छता या सौंदर्य का दावा करते हैं, लेकिन वे अक्सर गिमिक होते हैं और नुकसान पहुंचा सकते हैं:

  • वजाइनल वॉश या पीनस वॉश: ये बेकार हैं। बाहरी हिस्सों को साफ पानी से धोना ही काफी है। ये वॉश प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ सकते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
  • जेनिटल लाइटनिंग क्रीम: ये काम नहीं करतीं और इनमें ब्लीचिंग एजेंट हो सकते हैं जो त्वचा को और काला कर सकते हैं या नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • पीनस लेंथनिंग क्रीम/पिल्स: इनसे लिंग का आकार नहीं बढ़ता। सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है, लेकिन वह भी हमेशा सफल नहीं होती और उसके अपने जोखिम होते हैं।
  • ब्रेस्ट फर्मिंग क्रीम: ये गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम नहीं कर सकतीं।

'नोफप' आंदोलन: क्या है इसका असली मतलब?

हाल के दिनों में 'नोफप' आंदोलन काफी चर्चा में रहा है, लेकिन इसके वास्तविक अर्थ को लेकर बहुत भ्रम है।

नोफप का वास्तविक अर्थ: असल में, 'नोफप' का मतलब पॉर्न न देखना है, न कि मास्टरबेशन न करना। यह आंदोलन पॉर्न की लत और उसके नकारात्मक प्रभावों से बचने पर केंद्रित था।

मास्टरबेशन से जुड़े मिथक: इंटरनेट पर कई लोग दावा करते हैं कि मास्टरबेशन से शरीर से प्रोटीन या महत्वपूर्ण खनिज निकल जाते हैं, या इससे एकाग्रता और डोपामाइन सिस्टम खराब हो जाता है। डॉ. क्यूटेरस के अनुसार, यह सब गलत जानकारी है। सीमन में बहुत कम मात्रा में प्रोटीन होता है, और मास्टरबेशन से कोई बड़ा शारीरिक नुकसान नहीं होता।

नाइटफॉल और इसका सामान्य होना: अगर कोई मास्टरबेट नहीं करता है, तो शरीर अपने आप सीमन को बाहर निकाल देता है, जिसे नाइटफॉल कहते हैं। यह एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है और इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है।

यौन सुख के उत्पाद और कानूनी पहलू

भारत में यौन सुख से जुड़े उत्पादों की बिक्री को लेकर कुछ अस्पष्टता है। कानून के अनुसार, विज्ञापन या उत्पाद की इमेज अश्लील नहीं होनी चाहिए, लेकिन 'अश्लील' की परिभाषा व्यक्तिपरक है।

एडिबल अंडरवियर: डॉ. क्यूटेरस ने बताया कि भारत एडिबल अंडरवियर (खाने योग्य अंडरवियर) का एक बड़ा उपभोक्ता है। यह एक ऐसा उत्पाद है जिसे फोरप्ले के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

कंडोम से जुड़े रोचक तथ्य:

  • भारत दुनिया के उन पहले देशों में से था जिसने 1950 के दशक में परिवार नियोजन इकाई स्थापित की थी।
  • भारत में कंडोम बनाने वाली पहली कंपनी हिंदुस्तान लेटेक्स थी।
  • भारत में कंडोम का ब्रांड नाम 'निरोध' है, जिसका अर्थ 'रोकथाम' है। पहले इसका नाम 'कामराज' रखने का विचार था, लेकिन उस समय के एक राजनेता के नाम से समानता के कारण इसे बदल दिया गया।
  • फ्लेवर्ड कंडोम आमतौर पर ओरल सेक्स के लिए होते हैं, क्योंकि योनि या लिंग में स्वाद कलिकाएं नहीं होतीं।

दर्द और सुख का बढ़ता चलन: बीडीएसएम

बीडीएसएम (बंधन, अनुशासन, प्रभुत्व, अधीनता, सैडिज्म और मासोचिज्म) का चलन हाल के वर्षों में काफी बढ़ा है, खासकर "फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे" जैसी फिल्मों के बाद।

बीडीएसएम क्यों हो रहा है लोकप्रिय?

  • नियंत्रण: इसमें शामिल लोग, खासकर अधीन रहने वाले, अपनी सीमाओं और इच्छाओं को तय करते हैं, जिससे उन्हें नियंत्रण का एहसास होता है।
  • रोमांच: यह एक नियंत्रित वातावरण में तीव्र संवेदनाओं और एड्रेनालाईन रश का अनुभव कराता है।
  • नवीनता: इंसान हमेशा नई चीजों की तलाश में रहता है, और बीडीएसएम एक नया और रोमांचक अनुभव प्रदान करता है।
  • प्रगतिशील ओवरलोड: जैसे जिम में लोग खुद को चुनौती देते हैं, वैसे ही बीडीएसएम में भी लोग अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाते हैं।

सुरक्षित अभ्यास का महत्व: डॉ. क्यूटेरस ने कुछ अजीबोगरीब मामलों का जिक्र किया जहां लोगों ने असुरक्षित तरीके से प्रयोग किए, जैसे शरीर में लाइट बल्ब या ईल डालना। ऐसे मामलों से बचने के लिए, सुरक्षित और विशेष रूप से डिजाइन किए गए उत्पादों का उपयोग करना और सीमाओं को समझना बहुत जरूरी है।

अनचाही गर्भावस्था और गर्भपात के अधिकार

भारत में गर्भपात को लेकर कई गलतफहमियां हैं। यह जानना जरूरी है कि भारत में गर्भपात पूरी तरह से कानूनी है।

गर्भपात की कानूनी स्थिति:

  • भारत में 20 सप्ताह तक गर्भपात कराना कानूनी है।
  • इसके लिए केवल महिला की सहमति की आवश्यकता होती है, किसी और की नहीं (यदि महिला 18 वर्ष से अधिक है)।
  • डॉक्टर केवल समर्थन के लिए किसी को साथ लाने की सलाह दे सकते हैं, कानूनी तौर पर इसकी कोई जरूरत नहीं है।

अनचाही गर्भावस्था से बचने के तरीके:

  • निवारक उपाय: कंडोम का उपयोग, गर्भनिरोधक गोलियां या अन्य गर्भनिरोधक उपकरण।
  • आपातकालीन गर्भनिरोधक: असुरक्षित यौन संबंध के 72 घंटे के भीतर ली जाने वाली आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली (जैसे आई-पिल) ओवुलेशन को रोक सकती है।
  • गर्भपात: यदि गर्भावस्था हो जाती है, तो मेडिकल (दवाओं से) या सर्जिकल (सर्जरी से) गर्भपात का विकल्प होता है। यह हमेशा डॉक्टर की देखरेख में होना चाहिए, क्योंकि एक्टोपिक प्रेगनेंसी जैसे मामलों में यह जानलेवा हो सकता है।

पुरुषों की भूमिका और समर्थन: पुरुषों को इन कानूनों और प्रक्रियाओं के बारे में शिक्षित होना चाहिए ताकि वे अपनी पार्टनर को जरूरत पड़ने पर सही समर्थन दे सकें।

डॉक्टरों का नजरिया और मरीजों के सवाल

डॉक्टर भी समाज का ही हिस्सा होते हैं, और कभी-कभी वे भी मरीजों को जज कर सकते हैं या गलत सलाह दे सकते हैं। डॉ. क्यूटेरस ने ऐसे कई उदाहरण दिए जहां डॉक्टरों ने मरीजों को उनकी यौन पहचान या जीवनशैली के लिए गलत तरीके से जज किया।

यह बहुत जरूरी है कि मरीज ऐसे डॉक्टर चुनें जो उन्हें बिना किसी पूर्वाग्रह के समझें और सही सलाह दें। यौन स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बात करना और सही जानकारी प्राप्त करना बहुत महत्वपूर्ण है।

लिंग से जुड़े कुछ हैरान कर देने वाले तथ्य

डॉ. क्यूटेरस ने लिंग से जुड़े कुछ मजेदार और हैरान कर देने वाले तथ्य भी साझा किए:

  • शिशुओं में इरेक्शन: गर्भ में पल रहे नर शिशु भी इरेक्शन का अनुभव कर सकते हैं। यह सामान्य यौन विकास का हिस्सा है।
  • लिंग बढ़ाने की सर्जरी: लिंग बढ़ाने की सर्जरी हमेशा सफल नहीं होती और इससे समस्याएं भी हो सकती हैं। औसत लिंग का आकार 5.1 से 5.5 इंच के बीच होता है, जो अक्सर लोगों की धारणा से कम होता है।
  • लिंग की दिशाएं: सभी लिंग सीधे नहीं होते। कुछ ऊपर, कुछ साइड में या नीचे की ओर इशारा कर सकते हैं, और यह पूरी तरह सामान्य है।
  • फाइमोसिस और पैराफाइमोसिस: फाइमोसिस एक ऐसी स्थिति है जहां फोरस्किन लिंग पर फंस जाती है। इसे जबरदस्ती खींचने से पैराफाइमोसिस हो सकता है, जो एक गंभीर समस्या है और इसमें तत्काल सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
  • लिंग का फ्रैक्चर: हालांकि लिंग में कोई हड्डी नहीं होती, लेकिन तेज बल लगने पर यह फ्रैक्चर हो सकता है, जिसमें तत्काल सर्जरी की जरूरत होती है।
  • बत्तख का लिंग: बत्तख का लिंग कॉर्कस्क्रू के आकार का होता है, और मादा बत्तख की योनि एंटी-कॉर्कस्क्रू आकार की होती है। यह विकासवादी अनुकूलन है।