व्हाट्सएप और मेटा एआई: आपकी बातचीत से कैसे बनते हैं विज्ञापन?

क्या आपने कभी सोचा है कि आप किसी चीज़ के बारे में बात करते हैं और फिर अचानक आपको सोशल मीडिया पर उसी चीज़ का विज्ञापन दिखने लगता है? यह सिर्फ़ संयोग नहीं है, बल्कि विज्ञापन की दुनिया का एक नया तरीका है। अगर आप फेसबुक, इंस्टाग्राम या वॉट्सऐप इस्तेमाल करते हैं, तो आपने मेटा एआई का आइकन देखा होगा। यह मेटा का अपना चैटबॉट है, जो ओपनएआई के चैटजीपीटी जैसा ही है। अब, मेटा के इस चैटबॉट से आप जो भी बात करेंगे, मेटा उसका इस्तेमाल आपको विज्ञापन दिखाने के लिए करेगा।

मुख्य बातें

  • मेटा एआई से की गई बातचीत को विज्ञापनों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
  • यह विज्ञापनों को और ज़्यादा व्यक्तिगत बनाने का एक तरीका है।
  • आप इस प्रक्रिया से आसानी से ऑप्ट-आउट नहीं कर सकते।
  • अन्य बड़ी टेक कंपनियाँ भी इसी तरह के तरीकों पर काम कर रही हैं।
  • यह आपकी प्राइवेसी के लिए चिंता का विषय हो सकता है।

मेटा एआई और विज्ञापन

कल्पना कीजिए कि आपने मेटा एआई से पूछा कि अपने पार्टनर से हुए झगड़े को कैसे सुलझाएं, और थोड़ी देर बाद आपको डिवोर्स लॉयर या कपल थेरेपी के विज्ञापन दिखने लगें। यह दिखाता है कि चैटबॉट से की गई आपकी बातचीत सिर्फ़ बातचीत नहीं, बल्कि डेटा बन जाती है जिसे मेटा विज्ञापन दिखाने के लिए इस्तेमाल करता है। मेटा का कहना है कि आप ऑनलाइन क्या देखते हैं, इस पर आपका नियंत्रण है, लेकिन वे आपके अकाउंट से क्या जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं, इस पर आपका नियंत्रण नहीं है, और ऑप्ट-आउट का कोई सीधा विकल्प भी नहीं दिया गया है।

विज्ञापन क्यों इतने ज़रूरी हैं?

कंपनियों के लिए विज्ञापन आय का एक बहुत बड़ा स्रोत हैं। जब विज्ञापन सही लोगों तक पहुँचते हैं, तो उनका रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (ROI) सबसे ज़्यादा होता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स इस लक्षित दर्शक वर्ग को खोजने का सबसे अच्छा ज़रिया हैं। फिलहाल, विज्ञापन सीधे चैट्स में नहीं दिखेंगे, लेकिन भविष्य में ऐसा हो सकता है। सोचिए, अगर आपने चैटबॉट से जापान जाने के लिए सबसे अच्छे समय के बारे में पूछा और आपको तुरंत फ्लाइट टिकट या ट्रैवल इंश्योरेंस के विज्ञापन दिखने लगें।

अन्य टेक कंपनियाँ भी इसी राह पर

मेटा अकेला नहीं है जो अपने प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापनों को व्यक्तिगत बनाने पर काम कर रहा है। ओपनएआई अपने चैटजीपीटी यूजर्स को शॉपिंग का विकल्प देने की योजना बना रहा है, जिससे वे जो भी खरीदेंगे उसका कुछ हिस्सा ओपनएआई को भी मिलेगा। गूगल भी अपने एआई-संचालित सर्च में विज्ञापन दिखाने की घोषणा कर चुका है।

व्यक्तिगत विज्ञापनों का आप पर असर

व्यक्तिगत विज्ञापनों का मतलब है कि प्लेटफॉर्म आपकी व्यक्तिगत पसंद-नापसंद को जानता है। चाहे आपको पिज़्ज़ा खाने का मन हो, आप जर्मनी जाने की योजना बना रहे हों, या आपके रिश्ते में कोई समस्या चल रही हो, प्लेटफॉर्म को यह सब पता होगा जो आप उनसे साझा करते हैं। इसी जानकारी का इस्तेमाल करके वे आपको विज्ञापन भेजेंगे।

प्राइवेसी की चिंताएँ

मेटा का कहना है कि वे विज्ञापन के लिए धर्म, मानसिक स्वास्थ्य या यौन रुझान जैसी संवेदनशील जानकारी का इस्तेमाल नहीं करेंगे। लेकिन आलोचकों का मानना है कि यह पर्याप्त नहीं है, खासकर मेटा के प्राइवेसी को लेकर पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए। यूरोपीय संघ ने भी डेटा सुरक्षा कानूनों के उल्लंघन के लिए मेटा पर कई बार भारी जुर्माना लगाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यक्तिगतकरण नहीं, बल्कि निगरानी है। चैटबॉट हमें 'प्राइवेसी का भ्रम' दे सकते हैं, जो खासकर किशोरों या सोशल मीडिया की कम समझ रखने वाले लोगों के लिए चिंता का विषय है।

मेटा एआई का सुरक्षित उपयोग

मेटा का यह बदलाव दुनिया भर में लागू होगा, सिवाय ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और दक्षिण कोरिया के, जहाँ मेटा को कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। अगर आप चिंतित हैं, तो आप मेटा एआई का इस्तेमाल बंद कर सकते हैं। या फिर, आप इन तरीकों से अपना डेटा सुरक्षित रख सकते हैं:

  1. संवेदनशील जानकारी साझा न करें: मेटा एआई चैट को कभी भी अपनी मेडिकल जानकारी या बैंक डिटेल्स न दें। अपना पता या फोन नंबर जैसी निजी जानकारी भी साझा न करें।
  2. अकाउंट्स अनलिंक करें: मेटा के अकाउंट सेंटर में जाकर अपने अकाउंट्स को अनलिंक कर दें।

मेटा एआई एक स्मार्ट असिस्टेंट की तरह लग सकता है, लेकिन यह एक डेटा कलेक्टर भी है। अगली बार जब आप चैट करें, तो खुद से पूछें: क्या मैं इस बातचीत को किसी विज्ञापन में बदलते देखना चाहूँगा/चाहूँगी?