Border Wars, India vs China, Grenades & Nuclear Strategy | Col. Shivender Kanwar | FO382 Raj Shamani

कर्नल शिवेंद्र कंवर, एक पूर्व स्पेशल फोर्सेज ऑपरेटिव और आतंकवाद-निरोध विशेषज्ञ, राज शमानी के साथ एक गहन बातचीत में शामिल हुए। इस चर्चा में वैश्विक सैन्य गतिशीलता, भारत की रक्षा रणनीति और वास्तविक सैनिकों को केवल प्रशिक्षित लोगों से अलग करने वाली बातों पर प्रकाश डाला गया। कर्नल कंवर ने युद्ध के मैदान के अपने अनुभवों से लेकर मनोवैज्ञानिक तैयारी तक, विशिष्ट स्तर पर काम करने के लिए आवश्यक बातों को साझा किया।

मुख्य बातें

  • सैन्य शक्ति और आक्रामकता: अमेरिका और इज़राइल को दुनिया की सबसे आक्रामक देशों में गिना जाता है, जिसका कारण उनकी उत्तरजीविता की आवश्यकता और वैश्विक शक्ति संतुलन बनाए रखने की इच्छा है।
  • भारत की सैन्य क्षमता: भारतीय सेना को उसकी युद्ध-सिद्ध क्षमता और उच्च सहनशक्ति के लिए जाना जाता है। भारत की विशाल जनसंख्या उसकी एक बड़ी ताकत है, जो उसे अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण की आवश्यकता से मुक्त करती है।
  • चीन बनाम अमेरिका: चीन अमेरिका से लड़ सकता है, लेकिन जीत की संभावना कम है क्योंकि अमेरिका के पास अधिक युद्ध का अनुभव और वैश्विक पहुंच है।
  • भारत-चीन संघर्ष: भारत चीन से अच्छी तरह लड़ सकता है। भारत की रक्षात्मक क्षमताएं मजबूत हैं और वह अपनी सीमाओं की रक्षा करने में माहिर है।
  • परमाणु खतरा और पाकिस्तान: पाकिस्तान के परमाणु हथियारों से भारत को कोई खास फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि भारत के पास भी जवाबी कार्रवाई की क्षमता है और उसका भूभाग पाकिस्तान से काफी बड़ा है।
  • युद्ध और रणनीति: युद्ध में सफलता के लिए आक्रामकता और तीन गुना फायर पावर का सिद्धांत महत्वपूर्ण है। कर्नल कंवर का मानना है कि दुनिया की अधिकांश समस्याओं का समाधान एक अच्छी तरह से निर्देशित गोली से किया जा सकता है।
  • हथियारों का प्रभाव: लैंडमाइन, विशेष रूप से क्लेमोर माइन, अत्यधिक विनाशकारी होती है। रॉकेट लॉन्चर और फ्लेम थ्रोअर भी युद्ध के मैदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ग्रेनेड के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें स्टन ग्रेनेड और चिली ग्रेनेड शामिल हैं।
  • सैनिकों का प्रशिक्षण: स्पेशल फोर्सेज का प्रशिक्षण अत्यंत कठोर होता है, जिसमें मानसिक और शारीरिक सहनशक्ति की चरम सीमा तक परीक्षा ली जाती है। इसमें नींद की कमी, अत्यधिक शारीरिक परिश्रम और अप्रत्याशित परिस्थितियों का सामना करना शामिल है।
  • हथियारों का सम्मान: हथियारों का सम्मान करना और उनकी देखभाल करना सैनिकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • नेतृत्व का महत्व: भारतीय सेना की सबसे बड़ी ताकत उसका नेतृत्व है। अच्छे नेता सैनिकों को प्रेरित करते हैं और युद्ध के मैदान में सफलता सुनिश्चित करते हैं।
  • राष्ट्रीय चरित्र: राष्ट्रीय गान के प्रति सम्मान और सैनिकों के प्रति कृतज्ञता जैसे राष्ट्रीय चरित्र के तत्व देश की ताकत को बढ़ाते हैं।

वैश्विक सैन्य शक्ति और आक्रामकता

कर्नल कंवर के अनुसार, अमेरिका और इज़राइल दुनिया के सबसे आक्रामक देश हैं। इसका मुख्य कारण उनकी उत्तरजीविता की आवश्यकता है, खासकर इज़राइल के मामले में जो अरब देशों से घिरा हुआ है। अमेरिका की आक्रामकता उसकी वैश्विक शक्ति और आर्थिक हितों से जुड़ी है। उनके पास दुनिया भर में सैन्य अड्डे हैं, जो उन्हें कहीं से भी अभियान शुरू करने की क्षमता देते हैं। जब युद्ध की बात आती है, तो जमीनी सेना का कब्जा निर्णायक होता है, भले ही हवाई शक्ति कितनी भी मजबूत क्यों न हो। अमेरिका अपनी नौसेना और वायु सेना के माध्यम से अपनी शक्ति का प्रदर्शन करता है, जिसके लिए उसके पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण द्वीप ठिकाने हैं।

भारत की सैन्य क्षमता और प्रशिक्षण

भारतीय सेना को उसकी उच्च सहनशक्ति के लिए जाना जाता है। कर्नल कंवर का मानना है कि भारत को अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उसकी विशाल जनसंख्या ही उसकी एक बड़ी ताकत है। यदि आवश्यक हो तो सेना अपनी संख्या आसानी से बढ़ा सकती है। भारतीय सैनिकों को 'बैटल हार्ड' माना जाता है, जिसका अर्थ है कि वे युद्ध के मैदान में अनुभव प्राप्त करते हैं, जो केवल प्रशिक्षण से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। प्रशिक्षण के दौरान, सैनिकों को अत्यधिक कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि मच्छरों से भरे मैदान में खड़ा रहना या लगातार गड्ढे खोदना और भरना। यह सब उनकी मानसिक और शारीरिक सहनशक्ति को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

चीन और अमेरिका के बीच युद्ध की संभावना

कर्नल कंवर का मानना है कि चीन अमेरिका से लड़ तो सकता है, लेकिन जीतना मुश्किल होगा। इसका मुख्य कारण अमेरिका का युद्ध का अनुभव है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अमेरिका लगातार किसी न किसी युद्ध या संघर्ष में शामिल रहा है, जबकि चीन का युद्ध अनुभव सीमित है। यह अनुभव सैनिकों को युद्ध के मैदान में अधिक प्रभावी बनाता है। भारत और चीन के बीच संघर्ष की स्थिति में, भारत अपनी रक्षात्मक क्षमताओं के कारण चीन को कड़ी टक्कर दे सकता है। भारत की जमीनी लड़ाई की क्षमताएं मजबूत हैं और वह अपनी सीमाओं की रक्षा करने में माहिर है।

परमाणु खतरा और पाकिस्तान

पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के खतरे के बारे में पूछे जाने पर, कर्नल कंवर ने कहा कि इससे भारत को कोई खास फर्क नहीं पड़ता। उनका तर्क है कि यदि पाकिस्तान परमाणु हथियारों का उपयोग करता है, तो भारत भी जवाबी कार्रवाई करेगा। चूंकि भारत का भूभाग पाकिस्तान से काफी बड़ा है, इसलिए वह परमाणु हमले के बाद भी कुछ हद तक अपनी अखंडता बनाए रख सकता है, जबकि पाकिस्तान के लिए यह विनाशकारी होगा। इसलिए, भारत परमाणु खतरे से डरता नहीं है।

युद्ध के मैदान में हथियार और रणनीति

कर्नल कंवर ने युद्ध के मैदान में विभिन्न हथियारों के प्रभाव पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि लैंडमाइन, विशेष रूप से क्लेमोर माइन, अत्यधिक विनाशकारी होती है और इसका प्रभाव इतना भयानक हो सकता है कि शरीर के अंग तक नहीं मिलते। रॉकेट लॉन्चर भी टैंकों को निष्क्रिय करने में सक्षम हैं, हालांकि इसके लिए सटीक निशाना लगाना महत्वपूर्ण है। फ्लेम थ्रोअर अत्यधिक उच्च तापमान उत्पन्न कर सकते हैं, और ग्रेनेड के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे स्टन ग्रेनेड जो दुश्मन को भ्रमित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, और चिली ग्रेनेड जो तीखी मिर्च के पाउडर का उपयोग करते हैं।

स्पेशल फोर्सेज का प्रशिक्षण और अनुभव

कर्नल कंवर ने विभिन्न देशों की स्पेशल फोर्सेज के साथ अपने प्रशिक्षण और अनुभवों को साझा किया। उन्होंने ब्रिटिश, अमेरिकी, रूसी और इंडोनेशियाई सैनिकों की क्षमताओं की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना की स्पेशल फोर्सेज का प्रशिक्षण अत्यंत कठोर होता है, जिसमें सैनिकों को मानसिक और शारीरिक रूप से चरम सीमाओं तक धकेला जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे एक सैनिक को अपने हथियार का सम्मान करना चाहिए और उसे अपने शरीर का एक अभिन्न अंग मानना चाहिए।

नेतृत्व और राष्ट्रीय चरित्र

कर्नल कंवर ने भारतीय सेना में नेतृत्व के महत्व पर जोर दिया। उनका मानना है कि अच्छे नेता ही सेना की असली ताकत होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण महत्वपूर्ण है, और सैनिकों के प्रति सम्मान और राष्ट्रीय गान के प्रति आदर जैसे कार्य देश को मजबूत बनाते हैं। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे कुछ लोग सेना को केवल खेलकूद से जोड़ते हैं, जो कि सेना के बलिदानों को कम आंकना है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे पॉडकास्ट जैसे माध्यम लोगों को प्रेरित कर सकते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

कर्नल कंवर ने अपने जीवन के अनुभवों से सिखाया कि कैसे दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और नेतृत्व की भावना से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने तीन बार स्पेशल फोर्सेज की प्रोबेशन पास की और कैसे उन्होंने अपने सैनिकों के लिए सब कुछ न्यौछावर कर दिया। यह बातचीत भारतीय सेना की ताकत, उसके सैनिकों के बलिदान और नेतृत्व के महत्व को दर्शाती है।